BA Semester-2 - History - History of Medival India 1206-1757 AD - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 - इतिहास - मध्यकालीन भारत का इतिहास 1206-1757 ई. - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 - इतिहास - मध्यकालीन भारत का इतिहास 1206-1757 ई.

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2720
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 - इतिहास - मध्यकालीन भारत का इतिहास 1206-1757 ई.

अध्याय - 7
औरंगजेब

औरंगजेब का जन्म 3 नवम्बर 1618 ई० को उज्जैन के निकट 'दोहद' नामक स्थान पर शाहजहाँ की प्रिय पत्नी मुमताजमहल के गर्भ से हुआ था। 18 मई 1637 ई० को औरगंजेब का विवाह फारस राजघराने की राजकुमारी दिलरास बानो बेगम ( रबिया - बीबी) से हुआ था। सामूगढ़ की विजय के बाद तथा आगरा पर अधिकार कर लेने के पश्चात् औरंगजेब ने 21 जुलाई 1658 ई० को दिल्ली में अपना 'प्रथम राज्याभिषेक' कराया तथा 'अबुल मुजफ्फर आलमगीर' की उपाधि धारण की। किन्तु खंजवा और देवराई के युद्ध में क्रमशः शुजा एवं दारा को अन्तिम रूप से परास्त करने के पश्चात् पुनः 5 जून 1659 ई0 को दिल्ली में अपना औपचारिक राज्याभिषेक करवाया। अपने द्वितीय राज्याभिषेक के उपरान्त औरंगजेब ने जनता के आर्थिक कष्टों के निवारण हेतु अनेक आन्तरिक परागमन शुल्कों (राहदारी) और व्यापारिक चुँगियों (पानदारी) को समाप्त कर दिया। कुछ उत्पीड़क और बोझिल अबवावो (विविध उपकरों), जिन्हें नियमित लगान के अतिरिक्त आरोपित किया जाता था, को भी वापस ले लिया गया।

औरंगजेब ने कट्टर सुन्नी की रूढ़िवादी वर्ग के अगुआ के रूप में राजसिंहासन पर अपना दावा पेश करके, उस पर अधिकार किया था। परिणामस्वरूप उसने अनेक कट्टरवादी, रूढ़िवादी और भेदभावपूर्ण कदम उठाए, जिनके कारण उसने अपनी बहुसंख्यक गैर-मुस्लिम प्रजा के सद्भाव और सहानुभूति को खो दिया। 1659 ई0 में उसने कुरान के नियमों के अनुरूप इस्लामी आचरण संहिता के नियमों की पुनर्स्थापना के लिए अनेक अध्यादेश प्रसारित किए। सिक्कों पर 'कालिमा' अभिलिखित कराने की प्रथा को समाप्त कर दिया गया। कुरान के नियमों को क्रियान्वित करने के लिए बड़े-बड़े नगरों में सार्वजनिक नैतिकता अक्षीक्षकों (मुहतसिबों) की नियुक्ति की गई। पारसी नववर्ष 'नौरोज' का आयोजन भी बन्द कर दिया गया। सम्राट के जन्म दिवस पर तुलादान उत्सव और झरोखा दर्शन की पद्धति को भी बन्द कर दिया गया। अप्रैल 1665 में एक राज्यादेश द्वारा विक्रय योग्य माल पर मुस्लिम व्यापारियों के लिए सीमा शुल्क सम-मूल्य पर दो प्रतिशत और हिन्दू व्यापारियों के लिए पाँच प्रतिशत निर्धारित किया गया।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • औरंगजेब के सिंहासनारूढ़ होने के बाद उसकी सफलताओं पर बधाई देने के लिए फारस के शाह ने 'शाह बुदाग वेग' के नेतृत्व में फारसी दूतमण्डल मुगल दरबार में भेजा। जिसका वर्णन 'मनूची' ने अपनी पुस्तक 'स्टोरियो द मोगोर' में किया है।
  • दूत मण्डल का भव्य स्वागत हुआ जिसे 60 अरबी घोड़े एवं 37 कैरेट का एक गोल मोती तथा शाह की पसन्द पान के पत्तों को उपहार स्वरूप भेंट किया।
  • औरंगजेब ने 1660 ई० में मीर जुमला को बंगाल का गवर्नर बनाकर उसे पूर्वी प्रांतों विशेषतः असम और अराकान के विद्रोही जमींदारों का दमन करने का आदेश दिया।
  • मीर जुमला ने 1661 ई0 में कूचबिहार पर आक्रमण किया और 1662 ई० में अहोमों को सन्धि करने के लिए विवश कर दिया। जिसके फलस्वरूप अहोमों ने मुगलों को वार्षिक कर तथा युद्ध की क्षतिपूर्ति देना स्वीकार किया।
  • 1603 ई0 में मीर जुमला की मृत्यु के पश्चात् शाइस्ता खाँ को बंगाल का गवर्नर नियुक्त कियो गया। शाइस्ता खाँ ने 1666 ई0 में पुर्तगालियों को दण्ड दिया, बंगाल की खाड़ी में स्थित 'सोनद्वीप' पर अधिकार कर लिया तथा अराकान के राजा के चटगाँव जीत लिया।
  • औरंगजेब शाहजहाँ के काल में 1636-44 ई० तक दक्षिण के सूबेदार के रूप में रहा और "औरंगाबाद" को मुगलों के दक्षिण सूबे की राजधानी बनाया।
  • औरंगजेब दक्षिण के राज्यों के स्वतंत्र अस्तित्व को इसलिए समाप्त करना चाहता था क्योंकि बिना इसके अस्तित्व को समाप्त किए मराठों की शक्ति को समाप्त करना असम्भव था।
  • दक्षिण की पाँच स्वतन्त्र सल्तनतों में बरार को 1574 ई0 में मुर्तजा खाँ अहमदनगर में तथा बीदर को 1619 ई0 में इब्राहीम आदिल शाह II ने बीजापुर में मिला लिया था।
  • 1682 ई० में अपने पुत्र शाहजादा अकबर का पीछा करता हुआ औरंगजेब दक्षिण भारत पहुँचा किन्तु उसके पश्चात् उसे उत्तर भारत आने का अवसर नहीं प्राप्त हुआ। कहा जाता है कि “यही दक्षिण भारत औरंगजेब का कब्रिस्तान सिद्ध हुआ।"
  • औरंगजेब के दक्षिण में लड़े गए युद्धों को दो भागों में विभक्त किया जाता है-- बीजापुर एवं गोलकुण्डा के विरुद्ध युद्ध एवं विलय तथा मराठों की चार पीढ़ियों शिवाजी ( 1640-80), शम्भाजी (1680-89), राजाराम (1689-1700) एवं उसकी विधवा ताराबाई ( 1700-1707) के विरुद्ध युद्ध |
  • औरंगजेब ने 1665 ई0 में राजा जयसिंह (जयपुर) को बीजापुर एवं शिवाजी का दमन करने के लिए भेजा। फलस्वरूप सर्वप्रथम जयसिंह ने शिवाजी को पुरन्दर सन्धि ( 1665 ई0) करने के लिए विवश कर दिया किन्तु उसे बीजापुर के विरुद्ध सफलता नहीं मिली और रास्ते में बुरहानपुर में जयसिंह की मृत्यु हो गयी।
  • 1676 ई0 में मुगल सूबेदार दिलेर खाँ ने बीजापुर के मंत्री सिद्दी मसूद को मिलाकर सन्धि करने के लिए विवश कर दिया और सुल्तान की बहन शहजादी शहरबान का विवाह शहजादा आजम के साथ करने के लिए दिल्ली भेज दिया गया।
  • 22 सितम्बर 1686 ई० को अन्तिम आदिलशाही सुल्तान सिकन्दर आदिलशाह ने औरंगजेब के सामने आत्मसर्पण कर दिया और फलस्वरूप बीजापुर को मुगल साम्राज्य में मिला लिया गया। औरंगजेब ने सिकन्दर आदिलशाह का स्वागत किया उसे 'खान' का पद दिया एवं 1 लाख रुपये वार्षिक पेंशन दी गई।
  • 32 वर्ष की आयु में ही सिकन्दर आदिलशाह की मृत्यु हो गयी और उसे उसकी अन्तिम इच्छा के अनुसार धार्मिक गुरू शेख फहीमुल्ला की कब्र के पास दफना दिया गया।
  • 1687 ई0 में औरंगजेब स्वयं गोलकुण्डा पर आक्रमण करके किले को घेर लिया। किन्तु 8 महीने के घेरे के बावजूद भी मुगलों को कोई सफलता नहीं मिली।
  • अन्त में औरंगजेब ने 'अब्दुलगनी' नामक एक अफगान को लालच देकर अपनी ओर मिला लिया और और उसने अपने मालिक से विश्वासघात करके किले का फाटक खोल दिया और मुगलों ने किले को जीतकर अक्टूबर 1687 ई० में गोलकुण्डा को मुगल साम्राज्य में मिला लिया।
  • कहा जाता है कि औरंगजेब ने गोलकुण्डा के किले को उसी तरह 'सोने की कुंजियों' से खोला जिस तरह अकबर ने असीरगढ़ के किले को खोला था।
  • औरंगजेब ने 1660 ई0 में दक्षिण के मुगल सूबेदार शाइस्ता खाँ को शिवाजी पर आक्रमण करने के लिए भेजा। शाइस्ता खाँ ने पूना, शिवपुर और चाकन आदि किलों पर अधिकार कर लिया।
  • 1663 ई0 में शिवाजी ने पूना स्थित शाइस्ता खाँ के महल पर रात में चुपके से आक्रमण कर दिया। शाइस्ता खाँ बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर भागा, किन्तु उसका एक अँगूठा कट गया।
  • औरंगजेब ने 1665 ई० में जयसिंह को शिवाजी के विरुद्ध भेजा। जयसिंह ने उसे पराजित कर 22 जून 1665 ई0 को 'पुरन्दर की सन्धि' करने के लिए विवश कर दिया।
  • पुरन्दर की सन्धि के फलस्वरूप शिवाजी को अपने चार लाख हून वाले 23 किले मुगलों को.. सौंपने पड़े और बीजापुर के खिलाफ मुगलों की सहायता करने का वचन देना पड़ा।
  • पुरन्दर की सन्धि की शर्तों के तहत शम्भाजी मुगल दरबार में पंचहजारी मनसब देना उचित जागीर देना तथा शिवाजी का मुगल दरबार में उपस्थित होना था।
  • 22 मई 1666 ई0 को शिवाजी आगरा के किले में 'दीवने आम' में उपस्थित हुआ। यहीं पर शिवाजी को कैद कर 'जयपुर भवन' में रखा गया। जहाँ से वे गुप्त रूप से फरार हो गए।
  • शम्भाजी की मृत्यु के बाद उसके सोतेले भाई राजाराम के नेतृत्व में मराठों मुगलों से संघर्ष जारी रहा जो मराठा इतिहास में 'स्वतंत्रता संग्राम' के नाम से विख्यात है।
  • कहा जाता है कि "जिस प्रकार स्पेन के नासूर ने नेपोलियन को नेस्तनाबूत कर दिया उसी प्रकार दक्कन के नासूर ने औरंगजेब को नेस्तनाबूत कर दिया। "
  • औरंगजेब एक कट्टर सूत्री मुसलमान था उसने इस्लाम के महत्त्व को समझते हुए "कुरान " (शरियत ) को अपने शासन का आधार बनाया।
  • औरंगजेब ने प्रारम्भ से ही अपनी कट्टरता का परिचय देते हुए अपने सिक्कों पर कलमा (कुरानं की आयतें) खुदवाना, पारसी नव वर्ष 'नौरोज' का आयोजन, सार्वजनिक संगीत समारोहों, भांग उत्पादन, शराब पीने तथा जुआ खेलने आदि पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • औरंगजेब ने 1663 ई0 में सती प्रथा पर प्रतिबन्ध लगा दिया तथा हिन्दुओं पर तीर्थयात्रा कर लगाया।
  • औरंगजेब ने 1665 ई0 में एक राज्यादेश द्वारा बिक्री योग्य माल पर मुस्लिम व्यापारियों से 21/ 2%, जबकि हिन्दू व्यापारियों से 5 प्रतिशत की दर से 'सीमा शुल्क' निर्धारित किया। उसने 1667ई0 में मुस्लिम व्यापारियों को इस शुल्क से पूर्णतः मुक्त कर दिया।
  • औरंगजेब ने 1668 ई० में हिन्दू त्योहारों और उत्सवों को मनाए जाने पर रोक लगा दी।
  • अपने शासन के 11वें वर्ष 'झरोखा दर्शन' एवं 12वें वर्ष 'तुलादान प्रथा' को समाप्त कर दिया। औरंगजेब ने 1679 ई0 में हिन्दुओं पर पुनः जजिया कर लगा दिया यद्यपि उसे 1704 ई0 में दक्कन से यह कर उठा लेना पड़ा।
  • औरंगजेब ने गुरुवार (जुमेरात) की रात को पीरों की मजार एवं अन्य कंब्रों पर दिए जलाने की प्रथा को बन्द करवा दिया।
  • जनता पवित्र कानून (शरियत) या धर्म के अनुसार जिन्दगी बसर कर रही है या नहीं। इसकी देखभाल करने के लिए औरंगजेब ने “मुहतसिब" (सार्वजनिक सदाचार निरीक्षक या धर्म अधिकारी) नामक एक अधिकारी की नियुक्ति की।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय -1 तुर्क
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 खिलजी
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 तुगलक वंश
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 लोदी वंश
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 मुगल : बाबर, हूमायूँ, प्रशासन एवं भू-राजस्व व्यवस्था विशेष सन्दर्भ में शेरशाह का अन्तर्मन
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 अकबर से शाहजहाँ : मनसबदारी, राजपूत एवं महाराणा प्रताप के सम्बन्ध व धार्मिक नीति
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 औरंगजेब
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 शिवाजी के अधीन मराठाओं के उदय का संक्षिप्त परिचय
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 मुगलकाल में वास्तु एवं चित्रकला का विकास
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 भारत में सूफीवाद का विकास, भक्ति आन्दोलन एवं उत्तर भारत में सुदृढ़ीकरण
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला

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